Class 12th History Model Paper Question 2024 | History Model Set Question | History Subjective Question With Answer

12th History

Class 12th History Model Paper Question 2024 | History Model Set Question | History Subjective Question With Answer


इतिहास 


प्रश्न 1. किन तीन प्रक्रियाओं द्वारा आधुनिक शहरों की स्थापना निर्णायक रूप से हुई ? 

उत्तर- निम्नांकित तीन प्रक्रियाओं द्वारा आधुनिक शहरों की स्थापना निर्णायक रूप से हुई— 

(i) औद्योगिक पूँजीवाद का उदय,

(ii) विश्व के विशाल भू-भाग पर औपनिवेशिक शासन की स्थापना,

(iii) लोकतांत्रिक आदर्शों का विकास ।


प्रश्न 2. हिन्द- चीन में फ्रांसीसियों द्वारा उपनिवेश स्थापना के किन्हीं तीन उद्देश्यों का उल्लेख करें । 

उत्तर- हिन्द-चीन में फ्रांसीसियों द्वारा उपनिवेश स्थापना के तीन उद्देश्य इस प्रकार हैं-

(i) डच एवं ब्रिटिश कम्पनियों की व्यापारिक प्रतिस्पर्धा को कम करना ।

(ii) औद्योगिकीकरण हेतु कच्चे माल प्राप्त करने के लिए ।

(iii) विस्तृत बाजार में अपने द्वारा उत्पादित सामान को बेचने के लिए ।


प्रश्न 3. भूमण्डलीकरण में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की भूमिका को स्पष्ट करें । 

उत्तर-1980 के दशक में सं. रा. अमेरिका आर्थिक रूप से कमजोर हो रहा था। धीरे-धीरे वह सम्पूर्ण विश्व के अर्थतंत्र का नियामक हो गया । इस प्रभाव को कम करने में विश्व बैंक, अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, 1995 में अस्तित्व में आया । विश्व व्यापार संस्था, पूँजीवादी देशों की बड़ी व्यापारिक और औद्योगिक बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने गिरती अर्थव्यवस्था में जान फूँक दी । फलस्वरूप अमेरिका पुनः आर्थिक रूप से समृद्ध देश बन बैठा ।


प्रश्न 4. रॉलेट एक्ट क्या था ? 

उत्तर- न्यायाधीश सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता में क्रांतिकारी विरोधी एक अराजकतापूर्ण अधिनियम बनाया गया। इसे रॉलेट ऐक्ट कहा जाता है। इसके द्वारा किसी व्यक्ति को बिना साक्ष्य, वारंट के कहीं भी, किसी समय गिरफ्तार कर सजा दी जाती थी ।


 प्रश्न 5. पाण्डुलिपि क्या है ? इसकी क्या उपयोगिता है ? 

उत्तर – कागज एवं छापाखाना का ज्ञान होने के पूर्व भारत में लोग भोजपत्र, ताड़पत्र एवं हस्त निर्मित कागज पर हाथ से लिखते थे। यह रचना पाण्डुलिपि कहलाई । पांडुलिपि द्वारा हम अपने ज्ञान को सुरक्षित रख पाए और पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ाते गए ।


प्रश्न 6. पूँजीवाद क्या है ? 

उत्तर- पूँजीवाद ऐसी राजनैतिक आर्थिक व्यवस्था है जिसमें निजी सम्पत्ति तथा निजी लाभ की अवधारणा को मान्यता दी जाती है। यह सार्वजनिक क्षेत्र में विस्तार एवं आर्थिक गतिविधियों में सरकारी हस्तक्षेप का विरोध करती है ।


प्रश्न 7. आज के परिवर्तनकारी युग में प्रेस की भूमिका पर आलोचनात्मक टिप्पणी करें । 

उत्तर – वैश्विक स्तर पर मुद्रण अपने आदिकाल से भारत में स्वाधीनता आंदोलन तक भिन्न-भिन्न परिस्थितियों से गुजरते हुए आज अपनी उपादेयता (महत्व या उपयोगिता) के कारण ऐसी स्थिति में पहुँच गया है कि इसमें ज्ञान जत् की हर गतिविधियाँ प्रभावित हो रही हैं। आज पत्रकारिता, साहित्य, मनोरंजन, ज्ञान-विज्ञान, प्रशासन, राजनीति आदि को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर रहा है । 

आज के इस आधुनिक दौर में प्रेस, साहित्य और समाज की समृद्धि चेतना की, धरोहर है और पत्र-पत्रिकाएँ दैनिक गतिशीलता की लेखा है । स्वातंत्र्योत्तर भारत में पत्र-पत्रिकाओं का उद्देश्य भले ही व्यावसायिक रहा हो किन्तु इसने साहित्यिक एवं सांस्कृतिक अभिरुचि जगाने का महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है । पत्र-पत्रिकाओं ने दिन-प्रतिदिन घटनेवाली घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में नई और सहज शब्दावली का प्रयोग करते हुए भाषाशास्त्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया । प्रेस ने समाज में नवचेतना पैदा कर सामाजिक, ध ार्मिक, राजनीतिक एवं दैनिक जीवन में क्रांति का सूत्रपात किया । प्रेस ने सदैव सामाजिक बुराइयों, जैसे-दहेज प्रथा, विधवा विवाह, बालिका बध, बाल-विवाह जैसे मुद्दों को उठाकर समाज की कुप्रथाओं को दूर करने में मदद की तथा व्याप्त अंधविश्वास को दूर करने का प्रयास किया । 

आज के परिवर्तनकारी युग में प्रेस स्वस्थ मनोविनोद का भी स्रोत बन गया है । आज की भागदौड़ एवं तनावपूर्ण जीवन शैली में भी प्रेस सिनेमा से लेकर खेलकूद से संबंधित समाचार को प्रमुखता से छापकर पाठकों का मनोरंजन करती है। प्रेस पारस्परिक गपशप, हास-परिहास, व्यंग्य-विनोद, प्रश्नोत्तर, फूलझड़ी, कहकहों से लेकर काँव-काँव के माध्यम से समाज को सूक्ष्म संदेश तो देती ही है, मनोरंजन भी करती है । 

आज प्रेस समाज में रचनात्मकता का प्रतीक भी बनता जा रहा है । यह समाज को नित्य प्रति की उपलब्धियों, वैज्ञानिक अनुसंधानों, वैज्ञानिक उपकरणों एवं साधनों से परिचित कराता है। पत्रकार, विज्ञान के वरदान और अभिशाप को घटनाओं के माध्यम से समाज के सामने लाते हैं। ताकि सामान्य लोग भी विश्व कल्याण के संदर्भ में सोच सकें । 

आज प्रेस लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के रूप में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने हेतु सजग प्रहरी के रूप में हमारे सामने खड़ा है। यह वर्तमान राजनीति को सकारात्मक दिशा प्रदान करने के साथ-साथ भ्रष्टतंत्र पर करारा प्रहार करने का भी प्रयास करता है । 

इस तरह हम देखते हैं कि प्रेस अपने विकास के प्रथम चरण में आज भिन्न-भिन्न परिस्थितियों से गुजरते हुए समस्त परम्पराओं एवं मूल्यों का रक्षक तथा वर्तमान सामाजिक वैज्ञानिक एवं राजनीतिक गतिविधियों को समझने एवं जानने के मुख्य स्रोत के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।


प्रश्न 8. औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप होनेवाले परिवर्तनों पर प्रकाश डालें । 

उत्तर- सन् 1850 से 1950 ई. के बीच भारत में वस्त्र उद्योग, लौह उद्योग, सीमेंन्ट उद्योग, कोयला उद्योग जैसे कई उद्योगों का विकास हुआ । जमशेदपुर, सिन्दरी, धनबाद तथा डालमियानगर आदि नए व्यापारिक नगर तत्कालीन बिहार राज्य में कायम हुए। बड़ी-बड़ी फैक्टरियों का कायम हो जाने से प्राचीन गृह उद्योग का पतन आरम्भ हो गया। हाथ से तैयार किया माल महंगा पड़ने लगा, उसकी बिक्री खत्म होने लगी, नतीजा यह हुआ कि प्राचीन उद्योगों का लोप होने लगा । 

औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप इंगलैंड में हाथ के करघे से काम करने वाले पुराने बुनकरों की तबाही के साथ-साथ विकल्प के रूप में उस स्तर से किसी नए उद्योग का विकास नहीं हुआ । दामा, मुर्शिदाबाद सूरत आदि का औद्योगीकरण का बुरा प्रभाव पड़ा । 

औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर उत्पादन होना शुरू हो गया, जिसकी खपत के लिए यूरोप में उपनिवेशों की होड़ शुरू हो गयी और आगे चलकर इस उपनिवेशवाद ने साम्राज्यवाद का रूप ले लिया । 

औद्योगीकरण के फलस्वरूप ब्रिटिश सहयोग से भारत के उद्योग में पूँजी लगाने वाले उद्योगपति पूँजीपति बन गए । औद्योगीकरण ने एक नए तरह के मजदूर वर्ग को भी जन्म दियो


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