Class 12th Hindi ‘Sampurn Kranti’ Chapter Subjective Question | कक्षा 12 हिन्दी ‘सम्पूर्ण क्रांति’ चैप्टर का महत्वपूर्ण प्रशन

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Class 12th Hindi ‘Sampurn Kranti’ Chapter Subjective Question | कक्षा 12 हिन्दी ‘सम्पूर्ण क्रांति’ चैप्टर का महत्वपूर्ण प्रशन


प्रश्न 1. आंदोलन के नेतृत्व के संबंध में जयप्रकाश नारायण के क्या विचार थे, आंदोलन का नेतृत्व वे किस शर्त पर स्वीकार करते हैं? 

उत्तर- आंदोलन के नेतृत्व के संबंध में जयप्रकाश नारायण कहते हैं कि मुझे नाम के लिए नेता नहीं बनना है। में सबकी सलाह लूँगा, सबकी बात सुनूँगा। सबसे बातचीत करूँगा, बहस करूँगा, समझँगा तथा अधिक से अधिक बात करूँगा। आपकी बात स्वीकार करूँगा, लेकिन फैसला मेरा होगा। आपको इस फैसले को मानना होगा। इसी तरह के नेतृत्व से ही यह क्रांति सफल हो सकती है। अगर ऐसा नहीं होता है, तो आपस की बहसों में पता नहीं हम किधर बिखर जाएँगे और इस क्रांति का क्या नतीजा निकलेगा ।


प्रश्न 2. जयप्रकाश नारायण के छात्र जीवन और अमेरिका प्रवास का परिचय दें। इस अवधि की कौन-सी बातें आपको प्रभावित करती हैं? 

उत्तर- जयप्रकाश नारायण अपने छात्र जीवन से ही अव्वल दर्जे के विद्यार्थी थे । वे 1921 ई में पटना कॉलेज में आई.एस. सी. के विद्यार्थी थे। अपने छात्र जीवन में गांधी जी के विचारों से प्रभावित होकर उन्होंने असहयोग आंदोलन में भाग लिया । उन्होंने बिहार विद्यापीठ से आई.एस.सी. की परीक्षा दी। वे अमेरिका जाकर पढ़ाई करना चाहते थे। लेकिन उनके पिता के पास अधिक धन न था । फिर भी वे किसी प्रकार अमेरिका चले गए। लोगों ने इस बात के लिए उनकी खूब निंदा की। किन्तु ये लोग यह नहीं जानते थे कि उन्होंने अमेरिका में पढ़ाई करने के लिए वहाँ के लोहे के कारखानों, बागानों होटलों, दुकानों आदि में काम किया। बी.ए. पास करने के बाद उन्हें स्कॉलरशिप मिलने लगी । 

इस दौरान जयप्रकाश नारायण द्वारा किया गया कठोर परिश्रम तथा सीमित साधनों से गुजारा करने की उनकी हिम्मत मुझे काफी प्रभावित करती है। यही नहीं उन्होंने आत्महित के साथ-साथ जनहित के सिद्धांतों का अनुकरण भी किया ।


प्रश्न 3. जयप्रकाश नारायण कम्युनिस्ट पार्टी में क्यों नहीं शामिल हुए? 

उत्तर- जयप्रकाश ने लेनिन से सीखा था कि जो गुलाम देश है, वहाँ के जो कम्युनिस्ट हैं उनको वहाँ की आजादी की लड़ाई से अपने को किसी भी कीमत पर अलग नहीं रखना चाहिए। हालाँकि लड़ाई का नेतृत्व ‘बुर्जुआ क्लास’ के हाथ में, पूंजीपतियों के हाथ में होना चाहिए। कम्युनिस्टों को अपने आप को आइसोलेट नहीं करना चाहिए। इसी कारण जयप्रकाश अमेरिका से वापिस आकर कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल होने की बजाए देश की आजादी के लिए कांग्रेस में शामिल हुए।


प्रश्न 4. पाठ के आधार पर प्रसंग स्पष्ट करें- 

(क) अगर कोई डिमॉक्रेसी का दुश्मन है, तो वे लोग दुश्मन हैं, जो जनता के शांतिमय कार्यक्रमों में बाधा डालते हैं, उनकी गिरफ्तारियाँ करते हैं, उन पर लाठी चलाते हैं, गोलियाँ चलाते हैं। 

(ख) व्यक्ति से नहीं हमें तो नीतियों से झगड़ा है, सिद्धांतों से झगड़ा है, कार्यों से झगड़ा है । 

उत्तर- (क) एक बार पुलिस के एक उच्चाधिकारी जयप्रकाश नारायण जी से मिलने आए तथा उनसे कहने लगे कि मैंने दीक्षित जी से सुना है कि अगर जयप्रकाश जी नहीं होते तो बिहार जल गया होता। यह सुनकर जयप्रकाश जी ने प्रश्न किया कि अगर ऐसा है तो फिर लोगों को मेरे नेतृत्व में होने वाले प्रदर्शनों तथा सभा में आने से क्यों रोका जाता? आप लोग जनता के प्रतिनिधि होकर उन्हीं के देश में उन पर प्रतिबंध लगाते हो। ऐसा करते हुए तुम्हें शर्म भी नहीं आती। उनके विचार में अगर देश में प्रजातंत्र का कोई दुश्मन है तो वे लोग हैं जो जनता द्वारा आयोजित शांतिपूर्ण कार्यक्रमों में बाधा डालते हैं। लोगों पर लाठियाँ बरसवाते हैं तथा उन पर गोलियाँ चलवाते हैं और उन्हें गिरफ्तार करवाते हैं । 

(ख) जयप्रकाश नारायण जी के कुछ मित्र जिनमें से कुछ सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य भी थे यह चाहते थे कि उनके तथा इंदिरा जी के मध्य मेल-मिलाप हो जाए। इस पर उन्होंने बहुत ही साफ व स्पष्ट शब्दों में कहा था कि मेरा झगड़ा किसी व्यक्ति के साथ नहीं है। मेरा झगड़ा तो सरकार द्वारा लागू गलत नीतियों, व्यर्थ के सिद्धांतों तथा फालतू के कार्यों से है ।


प्रश्न 5. बापू और नेहरू की किस विशेषता का उल्लेख जेपी ने अपने भाषण में किया है? 

उत्तर- जयप्रकाश नारायण अपने भाषण में कहते हैं कि जब हम नौजवान थे तो कभी-कभी हम बापू के सामने कह दिया करते थे कि हम आपकी यह बात नहीं मानेंगे। किन्तु गांधी जी में इतनी महानता थी कि वे इसका बुरा नहीं मानते थे । इसके विपरीत वे हमें अपने पास बुलाकर प्रेमपूर्वक समझाते थे। जयप्रकाश जी आगे कहते हैं कि नेहरू जी से भी मेरा बड़ा स्नेह था तथा वो भी मुझे बहुत प्यार करते थे। मैंने कई बार उनकी आलोचना की। लेकिन यह उनका बड़प्पन था कि अक्सर उन्होंने हमारी आलोचनाओं का बुरा नहीं माना। उनके साथ जो मतभेद था वह परराष्ट्र की नीतियों के विषय में था ।


प्रश्न 6. भ्रष्टाचार की जड़ क्या है? क्या आप जेपी से सहमत हैं, इसे दूर करने के लिए क्या सुझाव देंगे? 

उत्तर- वर्तमान में हमारा देश आज़ाद है किन्तु इस गणतंत्र देश में जनता कराह रही है। हर जगह भ्रष्टाचार का बोलबाला है। सरकारी दफ्तरों, बैंकों आदि में रिश्वत के बिना जनता का काम नहीं होता। इस भ्रष्टाचार की जड़ चुनावों में होने वाला भारी खर्च है। चुनावों में करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। यह सारा पैसा काले धन के रूप में आता है जिसका कोई हिसाब-किताब नहीं होता। हम भी जयप्रकाश जी के इस विचार से सहमत हैं। सरकार की गलत नीतियाँ भी भ्रष्टाचार बढ़ाने में योगदान देती हैं । 

देश में व्याप्त भ्रष्टाचार की जड़ तभी दूर हो सकती है जब पूरी जनशक्ति देशहित तथा जनकल्याण के लिए अपनी सेवा पूरी आस्था के साथ दे। यदि देश के कर्मचारी, नेता, पदाधिकारी आदि समर्पित भाव से अपने कर्त्तव्यों का पालन करें तभी देश में फैले हुए भ्रष्टाचार को समाप्त किया जा सकता है।


प्रश्न 7. दलविहीन लोकतंत्र और साम्यवाद में कैसा संबंध है? 

उत्तर- दलविहीन लोकतंत्र सर्वोदय विचार का मुख्य राजनीतिक सिद्धांत है। इसके अनुसार ग्राम सभाओं के आधार पर दलविहीन प्रतिनिधित्व स्थापित होना चाहिए। दलविहीन लोकतंत्र मार्क्सवाद तथा लेनिनवाद के मूल उद्देश्यों में से है। समाज जैसे-जैसे साम्यवाद की तरफ बढ़ता जाएगा, वैसे-वैसे राज्य-स्टेट का क्षय होता जाएगा तथा अंत में एक स्टेटलेस सोसाइटी स्थापित हो जाएगी वह समाज लोकतांत्रिक होगा, तथा उस समाज में लोकतंत्र का सच्चा स्वरूप प्रकट होगा। ऐसे समाज में लोकतंत्र निश्चय ही दलविहीन होगा।


प्रश्न 8. संघर्ष समितियों से जयप्रकाश नारायण की क्या अपेक्षाएँ हैं? 

उत्तर-जयप्रकाश नारायण संघर्ष समितियों से अपेक्षा करते हैं कि विधानसभा चुनावों में छात्र संघर्ष तथा जन संघर्ष समितियाँ मिल कर आम राय से अपना उम्मीदवार खड़ा करें अथवा खड़े उम्मीदवारों में से किसी सही उम्मीदवार को मान्य करें। अगर इन समितियों के बीच आम राय नहीं बनती है तो कोई ऐसा रास्ता निकालना चाहिए जिससे आपस में फूट पड़े बगैर ये समितियाँ अपना उम्मीदवार खड़ा कर सकें या किसी उम्मीदवार को अपनी मान्यता दे सकें। चुनावों में जीतने वाले उम्मीदवार के भावी कार्यक्रमों पर कड़ी निगरानी रखने का काम भी ये संघर्ष समितियाँ करेंगी। अगर वे ईमानदारी से अपना कार्य नहीं करते तो उन्हें इस्तीफा देने को बाध्य करेंगी। इस प्रकार से इन लोगों के ऊपर जनता का अंकुश होगा तथा ये उच्छृंखल, निरंकुश और स्वच्छंद नहीं रह पाएँगें ।


प्रश्न 9. जयप्रकाश नारायण के इस भाषण से आप अपना सबसे प्रिय अंश चुनें और बताएँ कि वह सबसे अधिक प्रभावी क्यों लगा ? 

उत्तर- जय प्रकाश नारायण द्वारा दिए गए भाषण में जो अंश मुझे सबसे प्रिय लगा, वह निम्नलिखित है-“मित्रो, अमेरिका में बागानों में मैंने काम किया, कारखानों में काम किया लोहे के कारखानों में । जहाँ जानवर मारे जाते हैं, उन कारखानों में काम किया। जब यूनिवर्सिटी में पढ़ता था, छुट्टियों में काम करके इतना कमा लेता था कि कुछ खाना हम तीन-चार विद्यार्थी मिलकर पकाते थे, और सस्ते में हम लोग खा-पी लेते थे। एक कोठरी में कई आदमी मिलकर रह लेते थे, रुपया बचा लेते थे, कुछ कपड़े खरीदने, कुछ फीस के लिए और बाकी हर दिन- रविवार को भी छुट्टी नहीं एक घंटा रेस्त्राँ में, होटल में या तो बर्तन धोया या वेटर का काम किया, तो शाम को रात का खाना मिल गया, दिन का खाना मिल गया। किराया कहाँ से मकान का हमको आया? बराबर दो-तीन लड़के-कितने वर्षों तक दो चारपाई नहीं थी कमरे में एक चारपाई पर मैं और कोई न कोई अमेरिकन लड़का रहता था । हम दोनों साथ सोते थे, एक रजाई हमारी होती थी । इस गरीबी में मैं पढ़ा हूँ । इतवार के दिन या कुछ ‘ऑड टाइम’ में, यह जो होटल का काम है-उसको छोड़ करके, जूते साफ करने का काम ‘शू शाइन पार्लर’ में उससे ले करके कमोड साफ करने का काम होटलों में करता था । वहाँ जब बी. ए. पास कर लिया, स्कॉलरशिप मिल गई; तीन महीने के बाद असिस्टेंट हो गया डिपार्टमेंट का, ‘ट्यूटोरियल क्लास’ लेने लगा, तो कुछ आराम से रहा इस बीच में। इन लोगों से पूछिए । मेरा इतिहास ये जानते हैं और जानकर भी मुझे गालियाँ देते हैं ।” 

मुझे भाषण यह अंश सबसे अधिक प्रभावी लगने का कारण यह है कि इसमें एक विद्यार्थी के कठोर परिश्रम तथा शिक्षा प्राप्ति के लिए उसकी सच्ची लग्न का वर्णन मिलता है। जयप्रकाश नारायण जी ने विदेश में रहकर विभिन्न कठिनाइयों का सामना करते हुए अपनी पढ़ाई पूरी की, वह घटना एक विद्यार्थी के लिए बहुत प्रेरक प्रसंग है ।


प्रश्न 10. चुनाव सुधार के बारे में जयप्रकाश जी के प्रमुख सुझाव क्या हैं? उन सुझावों से आप कितना सहमत हैं?

उत्तर- जयप्रकाश जी ने चुनाव सुधार के बारे में निम्नलिखित सुझाव दिए हैं- 

(i) चुनाव पद्धति में आमूल परिवर्तन किया जाना चाहिए। 

(ii) चुनावों पर होने वाला खर्च कम होना चाहिए। 

(iii) ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि गरीब उम्मीदवार भी चुनाव में भाग ले सकें । 

(iv) मतदान प्रक्रिया स्वच्छ और स्वतंत्र होनी चाहिए। 

(v) उम्मीदवारों का चयन वास्तविक रूप से मतदाताओं के हाथ में होना चाहिए। 

(vi) मतदाता चुनाव के बाद भी अपने प्रतिनिधियों पर अंकुश रख पाएँ । 

(vii) जन-संघर्ष समितियाँ आम राय से जनता के लिए सही उम्मीदवार का चयन करें। 

(viii) अगर कोई जन प्रतिनिधि गलत कार्य करता है तो संघर्ष समितियाँ उसे इस्तीफा देने के लिए बाध्य करें। जेपी द्वारा दिए गए उपरोक्त सुझाव देशहित तथा जनकल्याण के लिए उपयोगी हैं। हम इन सुझावों से पूर्णतया सहमत हैं ।


प्रश्न 11. दिनकर जी का निधन कहाँ और किन स्थितियों में हुआ था ? 

उत्तर- दिनकर जी का निधन “विलिंगटन नर्सिंग होम” में हुआ था जो अपने जमाने के अस्पतालों में अत्यधिक सम्पन्न माना जाता था। दिनकर जी अपने मित्र रामनाथ गोयनका के घर अतिथि के रूप में ठहरे हुए थे। उसी रात्रि को उन्हें दिल का दौरा पड़ा। गोयनका जी ने तीन मिनट के अन्दर उन्हें उस अस्पताल में पहुँचा दिया। डाक्टरों ने अपना पूरा प्रयास किया पर उनको बचा नहीं सके।


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