Class 12th Hindi ‘Roj’ Chapter Subjective Question | कक्षा 12 हिन्दी ‘रोज’ चैप्टर का महत्वपूर्ण प्रशन

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Class 12th Hindi ‘Roj’ Chapter Subjective Question | कक्षा 12 हिन्दी ‘रोज’ चैप्टर का महत्वपूर्ण प्रशन


प्रश्न 1. मालती के घर का वातावरण आपको कैसा लगा? अपने शब्दों में लिखिए । 

उत्तर- मालती के घर का वातावरण बोझिल, नीरस तथा निर्जीव सा प्रतीत होता है। उनके घर के वातावरण में उल्लास, अपनेपन व प्रेम का भाव बिल्कुल भी नहीं था। घर में रहने वालों के जीवन में परिवर्तन नाम की कोई वस्तु न थी। घर के सभी सदस्य एक निश्चित ढर्रे पर आधारित जीवन जी रहे थे । प्रेम, सहानुभूति, कर्त्तव्यबोध जैसे भाव उनमें नहीं थे। मालती का जीवन उदासी व घुटन से भरा है। वह अपना सारा दिन काम करते हुए तथा हर घंटे समय देखते-देखते काट देती है।


प्रश्न 2. ‘दोपहर में उस सूने आँगन में पैर रखते ही मुझे ऐसा जान पड़ा, मानो उस पर किसी शाप की छाया मँडरा रही हो’, यह कैसी शाप की छाया है? वर्णन कीजिए। 

उत्तर- जब लेखक दोपहर के वक्त मालती के घर पहुँचा तब घर में अजीब सा बोझिल, नीरस व घुटन से भरा माहौल था उसे ऐसा लगा मानो उस घर में किसी शाप की छाया मँडरा रही हो। यह शाप की छाया उस घर में रहने वाले लोगों के मध्य अपनेपन व प्रेमभाव के अभाव की थी। वह परिवार एक ऊबाऊ, नीरस एवं निर्जीव जिंदगी जी रहा था। पति को अपने काम-काज में इतनी भी फुर्सत नहीं है कि वह अपनी पत्नी के साथ कुछ समय बिता सके। इसी प्रकार मालती को अपने बेटे के रोने, गिरने या चोट लगने से कोई पीड़ा नहीं होती। वह तो केवल समय गिन-गिन कर अपना वक्त बिता रही है। इस प्रकार उस घर का वह अज्ञात शाप पति-पत्नी और बच्चे तीनों को ही भुगतना पड़ रहा है।


प्रश्न 3. लेखक और मालती के संबंध का परिचय पाठ के आधार पर दें । 

उत्तर- लेखक मालती के दूर के रिश्ते का भाई है। किंतु मालती के साथ उसका संबंध सख्य का ही रहा है। वे दोनों बचपन में इकट्ठे खेले हैं, लड़े हैं और पिटे भी हैं। लेखक की पढ़ाई भी मालती के साथ ही हुई है। लेखक व मालती का एक-दूसरे के प्रति व्यवहार सख्य की स्वेच्छा एवं स्वच्छंदता से भरा रहा है, फिर वह कभी भ्रातृत्व के रूप में हो या फिर कभी किसी और रूप में। वे दोनों कभी बड़े-छोटेपन के बंधनों में नहीं बंधे।


प्रश्न 4. मालती के पति महेश्वर की कैसी छवि आपके मन में बनती है? कहानी में महेश्वर की उपस्थिति क्या अर्थ रखती है? अपने विचार दें। 

उत्तर- मालती का पति महेश्वर एक पहाड़ी गाँव की सरकारी डिस्पेन्सरी में डॉक्टर है। वह रोज सवेरे डिस्पेन्सरी चला जाता है तथा दोपहर को दो बजे भोजन करने के लिए आता है। शाम को वह फिर एक दो घंटे के लिए डिस्पेन्सरी जाकर 

रोगियों को देखता है। उसका जीवन रोज एक ही ढर्रे पर चलता है। वह स्वयं अपने इस यांत्रिक जीवन से उकसाया हुआ है। वह अपने परिवार का ढंग से ध्यान भी नहीं रख पाता है। 

कहानी में महेश्वर त्रासदी का परिचायक है। उसकी उपस्थिति स्थिति को और अधिक तनावपूर्ण बनाती है।


प्रश्न 5. गैंग्रीन क्या है? 

उत्तर- गैंग्रीन एक प्रकार का रोग है। कई बार काँटा आदि चुभने से बने जख्म को अगर संभाला नहीं जाता तो यह रोग हो जाता है। पहाड़ियों पर रहने वाले व्यक्तियों को काँटा चुभना आम बात है । किन्तु काँटा चुभने के बाद बहुत दिनों तक छोड़ देने से वह जख्म की शक्ल अख्तियार कर लेता है तथा व्यक्ति को गैंग्रीन रोग हो जाता है जिसका इलाज आमतौर पर उस अंग को काटना ही होता है।


प्रश्न 6. कहानी से उन वाक्यों को चुनें जिनमें ‘रोज’ शब्द का प्रयोग हुआ है। 

उत्तर-

1. क्यों पानी को क्या हुआ ? रोज ही होता है, कभी वक्त पर आता नहीं । 

2. ऊँहूँ, मेरे लिए तो यह नई बात नहीं है रोज ही ऐसा होता है ……… । 

3. मालती का जीवन अपनी रोज की नियम गति से बहा जा रहा था और एक चन्द्रमा की चन्द्रिका के लिए एक संसार के लिए रुकने को तैयार नहीं था । 

4. मैं तो रोज ऐसी बातें सुनती हूँ। 

5. इसके चोटें लगती ही रहती हैं, रोज ही गिर पड़ता है ।


प्रश्न 7. आशय स्पष्ट करें- 

मुझे ऐसा लग रहा था कि इस घर पर जो छाया घिरी हुई है, वह अज्ञात रहकर भी मानो मुझे भी वश में कर रही है, मैं भी वैसा ही नीरस निर्जीव-सा हो रहा हूँ जैसे हाँ जैसे… यह घर, जैसे मालती। 

उत्तर- लेखक मालती के घर कई वर्षों बाद आया है पर उसे घर का वातावरण अवश्य, अस्पृश्य व बोझिल प्रतीत होता है। उसे लगता है कि उस घर पर कोई काली छाया मँडरा रही है। वह अनुभव करता है कि इस घर पर घिरी काली छाया अज्ञात रह कर मानो उसे भी वश में कर रही है। वह भी वैसा ही नीरस निर्जीव सा महसूस करता है-जैसे वह घर तथा मालती हैं। लगता है कि लेखक भी उस काली छाया का शिकार हो गया है, जो उस घर पर मँडरा रही है । 

इन पंक्तियों में मालती के अन्तर्द्वन्द्व के साथ-साथ लेखक के मन का अन्तर्द्वन्द्व भी चित्रित हुआ है। उस घर की जड़ता, नीरसता, ऊबाहट ने जैसे लेखक को भी आच्छादित कर लिया है ।


प्रश्न 8. ‘तीन बज गए’, ‘चार बज गए’, ‘ग्यारह बज गए’; कहानी में घंटे की इन खड़कों के साथ-साथ मालती की उपस्थिति है। घंटा बजने का मालती से क्या संबंध है? 

उत्तर- कहानी में घंटे के खड़के के साथ-साथ मालती की उपस्थिति नज़र आती है । ऐसा प्रतीत होता है कि मालती प्रत्येक घंटा गिनती है। उसका समय काटे नहीं कटता दिन उसे पहाड़ जैसा नज़र आता है। एक घंटा बीतने पर उसे लगता है चलो किसी तरह एक घंटा तो बीता। घर में बर्तन माँजने के लिए पानी भी वक्त पर नहीं आता है। उसके लिए भी समय का यान रखना पड़ता है। उस घर में बच्चे का रोना, मालती द्वारा प्रत्येक घंटा की गिनती करना, महेश्वर का सुबह, शाम डिस्पेन्सरी जाना सब कुछ एक जैसा है। हर घंटा बीतने पर मालती को थोड़ी सी राहत मिलती है। उसका जीवन भी घड़ी के घंटे की तरह निश्चित ढर्रे पर चल रहा है।


प्रश्न 9. अभिप्राय स्पष्ट करें 

(क) मैंने देखा, पवन में चीड़ के वृक्ष ………… गर्मी से सूखकर मटमैले हुए चीड़ के वृक्ष धीरे-धीरे गा रहे हों ……. कोई राग जो कोमल है, किंतु करुण नहीं, अशांतिमय है, किंतु उद्वेगमय नहीं 

(ख) इस समय मैं यही सोच रहा था कि वही उद्धत और चंचल मालती आज कितनी सीधी हो गई है, कितनी शांत, और एक अखबार के टुकड़े को तरसती है। …..यह क्या, यह ….

उत्तर- (क) रात में जब मालती खाना खा रही थी तो लेखक उसके पास बैठकर आकाश की तरफ देख रहा था। उसे महसूस हुआ कि गर्मी की मार से सूखकर मटमैले हुए चीड़ के वृक्ष हवा चलने के साथ कुछ गुनगुनाते लग रहे हैं। ऐसा लगता है मानो वे कोई कोमल राग गा रहे हैं जो करुण तथा उद्वेगमय नहीं था, किन्तु अशांत करने वाला था। कहने का भाव यह है कि कठिन परिस्थितियों में जीवन व्यतीत करने वाले कुछ समय के लिए अशांत लेकिन वो हार नहीं मानते हैं और न ही अधि क रोष दिखाते हैं। वे तो संघर्ष करते हुए जीवन को जीते रहते हैं। 

(ख) जब मालती आमों के ऊपर लिपटे अखबार के टुकड़े को पढ़ने लगती है, तो उसे देखकर लेखक को याद आता कि जब बचपन में मालती को पढ़ने के लिए कहते थे तो वह मना कर देती थी। उसे तो बस मौज-मस्ती करना ही पसंद था। लेकिन आज वही चंचल और उछल-कूद करने वाली मालती कितनी सीधी व शांत हो गई है। वह कितनी मजबूर हो गई है कि अखबार के एक टुकड़े को पढ़ने के लिए तरस रही है। लेखक सोचता है कि आखिर यह क्या है? जीवन में किस प्रकार ऐसे परिवर्तन आ सकते हैं।


प्रश्न 10. कहानी के आधार पर मालती के चरित्र के बारे में अपने शब्दों में लिखिए । 

उत्तर- इस कहानी में मालती प्रमुख पात्रा है। वह कहानी में प्रारंभ से लेकर अंत तक उपस्थित रहती है। कहानी के आधार पर उसके चरित्र के ये मुख्य बिंदु नजर आते हैं, जो निम्नलिखित हैं- 

(i) एकाकी जीवन से त्रस्त – कहानी में मालती को एकाकी जीवन से त्रस्त एक नारी के रूप में दर्शाया गया है । उसके पति को काम की व्यस्तता के चलते उसका खयाल रखने का समय भी नहीं है 1 

(ii) स्वयं खोई रहने वाली स्त्री-मालती हर वक्त स्वयं में खोई रहती है। लेखक उसके घर कई वर्षों बाद आता है तो भी वह उससे अनमने ढंग से बातचीत करती है

(iii) यंत्रवत् जीवन-मालती का जीवन किसी मशीन की तरह निश्चित ढर्रे पर चल रहा है। उसके अंदर किसी तरह का उल्लास तथा रोचकता नहीं है । 

(iv) संवेदनशीलता का अभाव- नीरस, ऊबाऊ तथा एकाकी वातावरण में रहने तथा यंत्रवत् जीवन जीने के कारणं मालती में भी संवेदनशीलता का अभाव हो गया है। तभी तो अपने एकमात्र बच्चे के गिरने, रोने आदि का उस पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है।


प्रश्न 11. बच्चे से जुड़े प्रसंगों पर ध्यान देते हुए उसके बारे में अपने शब्दों में लिखिए । 

उत्तर – कहानी में बच्चे से जुड़े कई प्रसंग हैं, जैसे जब लेखक बच्चे का नाम पूछता है तो मालती कहती है-नाम तो कोई निश्चित नहीं किया, वैसे टिटी कहते हैं। जब लेखक बच्चे को अपनी ओर बुलाता है तो वह अपनी माँ से लिपट जाता है और रुआंसा होकर ऊँहुँ, ऊहुँ करने लगता है । 

एक अन्य प्रसंग में बच्चा रो रहा होता है पर कोई उसकी तरफ ध्यान नहीं देता। मालती कहती है कि यह चिड़चिड़ा हो गया है, हमेशा ऐसे ही करता है। फिर बच्चे के पलंग से गिरने पर भी मालती कोई विशेष प्रतिक्रिया नहीं करती। इन प्रसंगों से पता चलता है कि बच्चे का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। यह एक विडम्बना ही है कि एक डाक्टर का बच्चा अस्वस्थकर है। इसके अतिरिक्त ऐसा लगता है कि घर के उबाऊ, नीरस व एकाकी वातावरण ने मालती की संवेदनशीलता को भी काफी हद तक प्रभावित किया है। इसी कारण वह अपने बेटे तक की परवाह नहीं करती ।


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