Class 12th Hindi ‘hanste hue mera akelapan’ Chapter Subjective Question | कक्षा 12 हिन्दी ‘हँसते हुए मेरा अकेलापन’ चैप्टर का महत्वपूर्ण प्रशन
प्रश्न 1. डायरी क्या है?
उत्तर – डायरी हिन्दी साहित्य की वह विधा है, जिसमें व्यक्ति अपने मन की बातों को कागज पर उतारता है। डायरी में किसी व्यक्ति द्वारा उसके महत्वपूर्ण दैनिक अनुभवों का ब्यौरा सच्चाई के साथ लिखा जाता है
प्रश्न 2. डायरी का लिखा जाना क्यों मुश्किल है?
उत्तर- डायरी में व्यक्ति अपने मन की बातों को कागज पर उतारता है। वह अपने ढंग से अपने समझने योग्य शब्दों में अपने यथार्थ को लिखता है। डायरी लिखने के लिए अपने भावों के अनुसार शब्दों का चयन करना बहुत मुश्किल होता है। इसके अतिरिक्त एक डायरी में व्यक्ति को सभी बातें पूरी सच्चाई के साथ लिखनी पड़ती है तथा सभी घटनाएं सही-सही रूप में वर्णित करनी पड़ती हैं। शब्दार्थ और भावार्थ के आंशिक मेल के कारण भी डायरी का लिखा जाना मुश्किल होता है।
प्रश्न 3. किस तारीख की डायरी आपको सबसे प्रभावशाली लगी और क्यों?
उत्तर – मुझे 25 जुलाई 80 की डायरी सर्वाधिक प्रभावशाली लगी। इस अंश में लेखक अपनी कुछ कमियों को सहर्ष स्वीकार करता है । वह बहुत ही स्पष्ट शब्दों में लिखता है कि मैं भीतर से बेतरह डरा हुआ व्यक्ति हूँ । इस डर की वजह से कितने-कितने घंटे मैंने तनाव में गुजारे हैं- एक पत्ते की तरहं काँपते हुए, होठों में प्रार्थनाएँ बुदबुदाते हुए कि किसी तरह संकट का यह क्षण कटे । इस प्रकार वह अपनी वास्तविक मनोस्थिति को पूरी सच्चाई के साथ प्रकट करता है ।
प्रश्न 4. डायरी के इन अंशों में मलयज की गहरी संवेदना घुली हुई है। इसे प्रमाणित करें।
उत्तर – मलयज एक बेहद ही संवेदनशील लेखक हैं। उनकी हर रचना उनकी संवेदनशीलता की परिचायक है। डायरी के इन अंशों में मलयज की गहरी संवेदनशीलता घुली हुई है। खेत की मेड़ पर बैठी कौवों की कतार को देखना हो, नेगी परिवार की मेहमानवाजी की बात हो, स्कूल के दो अध्यापकों से परिचय । डायरी में लिखने के लिए चयनित शब्द हों या फिर सुरक्षा की भावना सभी उनकी संवेदनशीलता को प्रदर्शित करते हैं। सेब बेचने वाली लड़की की आतुरता तथा उसकी ललक मलयज की संवेदनशील निगाहें ही देख पाती हैं।
आम जीवन में होने वाले डर तथा दुनिया में जिजीविषा मलयज की गहरी संवेदना की छाप छोड़ती हैं।
प्रश्न 5. व्याख्या करें-
(क) आदमी यथार्थ को जीता ही नहीं, यथार्थ को रचता भी है।
(ख) इस संसार से संपृक्ति एक रचनात्मक कर्म हैं। इस कर्म के बिना मानवीयता अधूरी है ।
उत्तर- (क) लेखक का विश्वास है कि मनुष्य केवल यथार्थ को जीता ही नहीं, बल्कि वह उसकी रचना भी करता है । भाव यह है कि हमें अपने आसपास के संसार की रचना स्वयं ही करनी पड़ती है । यथार्थ की रचना सामाजिक दृष्टि से एक नैतिक कर्म है ।
(ख) मनुष्य का संसार के साथ जुड़ाव एक रचनात्मक कार्य है। यह जुड़ाव मनुष्य को नई-नई रचनाएँ करने हेतु प्रेरित करता. | कर्म करना मनुष्य के अस्तित्व के लिए बहुत आवश्यक है। इस कर्म के बिना मानवीयता अधूरी है क्योंकि इसके बिना उसका अस्तित्व ही संदेहपूर्ण है ।
प्रश्न 6. ‘धरती का क्षण’ से क्या आशय है?
उत्तर- ‘धरती का क्षण’ से लेखक का अभिप्राय उस क्षण से है जब शब्द और अर्थ मिलकर रचना का रूप ग्रहण करते हैं । रचना की यह क्रिया धरातल पर ही संपन्न होती है कहीं अंतरिक्ष में नहीं । इसी कारण इसे ‘धरती का क्षण’ कहा गया है ।
प्रश्न 7. रचे हुए यथार्थ और भोगे हुए यथार्थ में क्या संबंध है?
उत्तर – रचा हुआ यथार्थ वह है, जिसकी रचना हम यथार्थ जीने के क्रम में करते हैं। इसके विपरीत भोगा हुआ यथार्थ किसी दूसरे के द्वारा दिया गया यथार्थ है । प्रत्येक व्यक्ति स्वयं एक यथार्थ का सृजन करता है तथा उसका एक अशं दूसरे को दे देता है । यह दिया हुआ अंश भोगा हुआ यथार्थ है । यथार्थ का यह व्यापार संसार कहलाता है। प्रत्येक मनुष्य उस संसार की रचना करता है जिसमें वह जी रहा है तथा जिसे वह भोग रहा है। ये दोनों यथार्थ एक-दूसरे से अन्योन्याश्रय संबंधित हैं। एक की सर्जना पर दूसरे का अस्तित्व टिका है। दोनों ही एक-दूसरे की उत्पत्ति, विलोम के कारक हैं ।
प्रश्न 8. लेखक के अनुसार सुरक्षा कहाँ है? वह डायरी को किस रूप में देखना चाहता है?
उत्तर – लेखक डायरी लेखन को सुरक्षित नहीं मानता है। उसके अनुसार सुरक्षा सत्य की रोशनी में है । लेखक डायरी को अपने समस्त अनुभवों के रूप में देखना चाहता है। वह इस बात को सही नहीं मानता कि हम यथार्थ से बचने के लिए डायरी लिखें । वह अपने समस्त अनुभव डायरी में यथार्थ रूप में व्यक्त करना चाहता है । इसीलिए कभी-कभी वह कविता के मूड में डायरी लिखता है।
प्रश्न 9. डायरी के इन अंशों से लेखक के जिस ‘मूड’ का अनुभव आपको होता है, उसका परिचय अपने शब्दों में दीजिए ।
उत्तर- डायरी के इन अंशों से हमें ज्ञात होता है कि लेखक अपने से संबंधित सच्चाइयों को उजागर करने के ‘मूड’ में है । वह बहुत साधारण मूड में अपने समस्त क्रियाकलापों का वर्णन करता है तथा उन्हें पूरी यथार्थता के साथ व्यक्त करता है ।
प्रश्न 10 अर्थ स्पष्ट करें-
एक कलाकार के लिए यह निहायत जरूरी है कि उसमें ‘आग’ हो और वह खुद ‘ठंढा’ हो ।
उत्तर – लेखक कहता है कि एक कलाकार के लिए एक ‘आग’ का होना बहुत आवश्यक होता है अर्थात् उसे अपने कर्म के प्रति पूरी तरह से संवदेनशील होना चाहिए, फिर चाहे उसका व्यक्तित्व ठंडा ही क्यों न हो ।
प्रश्न 11. चित्रकारी की किताब में लेखक ने कौन-सा रंग-सिद्धान्त पढ़ा था?
उत्तर – चित्रकारी की किताब में रंग-सिद्धान्त के विषय में लेखक ने पढ़ा था कि शोख तथा भड़कीले रंग संवेदनाओं को बड़ी तीव्रता के साथ उभारते हैं तथा उनको तीव्रता के साथ चरम बिन्दु की तरफ ले जाते हैं तथा उतनी ही तेजी से उन्हें ढाल की तरफ खींचते हैं। रचनाओं की गम्भीरता उन्हें टिकाऊ बनाती है।
प्रश्न 12. 11 जून 78 की डायरी से शब्द और अर्थ के संबंध पर क्या प्रकाश पड़ता है? अपने शब्दों में लिखें ।
उत्तर – 11 जून 78 की डायरी से पता चलता है कि शब्द और अर्थ के बीच तटस्थता का अभाव होता है । लेखन के दौरान शब्द अर्थ में तथा अर्थ शब्द में ढलते चले जाते हैं । शब्द व अर्थ का संगम ही कृति का रूप ग्रहण करता है। यदि अर्थ शब्द के साथ चलते हैं तो रचना सामान्य जन के लिए होती है, लेकिन अगर अर्थ और शब्द साथ-साथ नहीं चलते हैं तो रचना एक उन्मुक्त आकाश की भांति हो जाती है जिसे पाठक अपनी परिकल्पनाओं के अनुसार समझता है ।
प्रश्न 13. रचना और दस्तावेज में क्या फर्क है ? लेखक दस्तावेज को रचना के लिए कैसे जरूरी बताता है?
उत्तर – लेखक रचना और दस्तावेज में फर्क स्पष्ट करते हुए कहता है, दस्तावेज रचना के लिए जरूरी कच्चा माल है तथा दस्तावेज वे तथ्य होते हैं, जिनके आधार पर किसी रचना का जन्म होता है । वे समस्त घटनाएँ, परिस्थितियाँ, हमारे जीवन के अनुभव आदि दस्तावेज के घटक हैं। बिना दस्तावेज के रचना हमारे जीवन से कोई सरोकार नहीं रखती है । इस प्रकार रचना के लिए दस्तावेज अत्यावश्यक है ।
रचना हमारी सोच को एक क्षितिज प्रदान करती है। दस्तावेज परिस्थितियाँ, घटनाएँ अथवा अनुभव होते हैं, जिनकी पहचान केवल परिष्कृत दिमाग ही कर पाता है किन्तु यही दस्तावेज जब रचना का रूप ले लेते हैं तो वह जन-जन के लिए हो जाता है ।
प्रश्न 14. लेखक अपने किस डर की बात करता है? इसकी खासियत क्या है? अपने शब्दों में लिखें ।
उत्तर- डायरी में लेखक ने दो तरह के डर की बात की है – पहला डर है आर्थिक तथा दूसरा है सामाजिक प्रतीक्षा का डर । वह कहता है कि उसका मन अपने प्रियजनों के बीमार हो जाने की बात सोचकर भय से काँप उठता है तथा इलाज के लिए धन का प्रबंध करने का डर उसे भयानक तनाव में ला देता है ।
दूसरे डर में लेखक समाज में बढ़ते अपराधों का जिक्र करते हुए कहता है कि यदि कोई प्रियजन समय पर वापिस घर नहीं लौटता है तो मन अनजानी आशंकाओं से घिर उठता है । इस डर की खासियत यह है कि इस डर का कारण मन की कमजोरी है। यही सामाजिक और आर्थिक अपराधों की जड़ है।
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